पृथ्वी का 20
प्रतिशत हिस्सा प्राकृतिक आपदा के लिहाज से अत्यन्त संवेदनशील है । इनका
अधिकांश हिस्सा भारत, चीन, मैक्सिको और ब्राजील से हैं, जबकि इन हिस्सो में
3.5 अरब से ज्यादा लोग इन हिस्सों में रह रहे हैं । इतनी बड़ी
आबादी पर लगातार प्राकृतिक आपदा का खतरा बरकरार हैं । वैसे तो प्राकृतिक
आपदा कई प्रकार के होते हैं,लेकिन यहा हम ʺबादल फटनाʺ के बारे में बात
करेंगें ।
बादल फटना यानी वर्षा अत्यन्त तीव्र होना अथवा मुसलाधार बारिश होना । इसको अग्रेजी में क्लाउड ब्रस्ट भी कहते हैं । विज्ञान के अनुसार, भारत वर्ष में वर्षा का कारण दक्षिण– पश्चिम मानसून (Mansoon- अरबी शब्द है) के सक्रिय होने के कारण होता है । जिससे की ये बादल समुद्र से बनकर स्थल की ओर आगे हिमालय की ओर बढ़ती जाती है । मौसम विज्ञान के अनुसार जब ये बादल लाखो गैलन पानी लेकर आगे बढ़ते है तो वर्षा करते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं । लेकिन इनके मार्ग में कोई बाधा आ जाती है तो अचानक हजारो–लाखों गैलन जल पृथ्वी पर आ गिरता है । एक ही स्थान पर अचानक असीमित जल गिरने के कारण बाढ़ का खतरा प्रबल रूप से हावी होता है । ये जल इतनी तीव्रता से आगे बढ़ती हैं कि भारी तबाही का कारण बनती है, भूस्खलन इसी का परिणाम है । ये जल जब अत्यन्त गति के साथ आगे बढ़ति है तो मकानो, गाड़ी–मोटरो, पहाड़ों को ध्वस्त करते और बहाते आगे बढ़ती रहती हैं । हाल ही में उत्तराखंड में बादल फटने की घटना इसका जीवंत उदाहरण है । दूरदर्शन पर हम आसानी से देख सकते थे कि ये असीमिति जल घरो को ताश के पत्ते की तरह ढहाते और गाड़ियों को खिलौने की तरह बहाते आगे बढ़ रही थी।
बादल फटने के क्या काण हैं ? बदलों के मार्ग में अचानक कोई बाधा आ जानें के कारण से घटना होती है । इनमें दों प्रकार की बधाएँ हैं – हमारे देश मे उत्तर से पूर्व तक हिमालय पर्वत फला हुआ हैं इसे हम प्रहरी के रूप में भी देखते हैं, लेकिन जब ये बादल उत्तर की ओर पहुचते है तो हिमालय एक बहुत बड़े अवरोधक के रूप में आता है इलिए बादल फटने की अधिकांश घटनाए पहाड़ो पर ही होती है । बादल फटने का दूसरा कारण यह है जब इनके सम्पर्क में गर्म हवा का झोका आता है तो इनके फटने की प्रबल आशंका होती है । लेह,पश्चिम उड़ीसा तथा उत्तराखण्ड में बादल फटने कारण बादल के मार्ग में पहाड़ों का आना था जबकि 26 July 2005 का मुम्बई में बादल फटने का कारण बादलो से गर्म हवा के झोके का टकराना था ।
बादल फटने की घटना में बारीश होने की दर 100 मिलीमिटर प्रति घंटा की दर से होती है । जिसके फलस्वरूप कुछ मिनटों में 2 सेंटीमिटर से अधिक वर्षा हो जाती है जिससे ये जल भारी तबाही का कारण बनती है । जब सामान्य बरसात होती है तो धरती भी जल की काफी मात्रा सोखती रहती है तथा सीमित जल उपयुक्त स्थान से निकलता रहता है जिससे इसके कारण जान–माल की क्षति लगभग नही के बराबर होती है ।
बादल फटना यानी वर्षा अत्यन्त तीव्र होना अथवा मुसलाधार बारिश होना । इसको अग्रेजी में क्लाउड ब्रस्ट भी कहते हैं । विज्ञान के अनुसार, भारत वर्ष में वर्षा का कारण दक्षिण– पश्चिम मानसून (Mansoon- अरबी शब्द है) के सक्रिय होने के कारण होता है । जिससे की ये बादल समुद्र से बनकर स्थल की ओर आगे हिमालय की ओर बढ़ती जाती है । मौसम विज्ञान के अनुसार जब ये बादल लाखो गैलन पानी लेकर आगे बढ़ते है तो वर्षा करते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं । लेकिन इनके मार्ग में कोई बाधा आ जाती है तो अचानक हजारो–लाखों गैलन जल पृथ्वी पर आ गिरता है । एक ही स्थान पर अचानक असीमित जल गिरने के कारण बाढ़ का खतरा प्रबल रूप से हावी होता है । ये जल इतनी तीव्रता से आगे बढ़ती हैं कि भारी तबाही का कारण बनती है, भूस्खलन इसी का परिणाम है । ये जल जब अत्यन्त गति के साथ आगे बढ़ति है तो मकानो, गाड़ी–मोटरो, पहाड़ों को ध्वस्त करते और बहाते आगे बढ़ती रहती हैं । हाल ही में उत्तराखंड में बादल फटने की घटना इसका जीवंत उदाहरण है । दूरदर्शन पर हम आसानी से देख सकते थे कि ये असीमिति जल घरो को ताश के पत्ते की तरह ढहाते और गाड़ियों को खिलौने की तरह बहाते आगे बढ़ रही थी।
बादल फटने के क्या काण हैं ? बदलों के मार्ग में अचानक कोई बाधा आ जानें के कारण से घटना होती है । इनमें दों प्रकार की बधाएँ हैं – हमारे देश मे उत्तर से पूर्व तक हिमालय पर्वत फला हुआ हैं इसे हम प्रहरी के रूप में भी देखते हैं, लेकिन जब ये बादल उत्तर की ओर पहुचते है तो हिमालय एक बहुत बड़े अवरोधक के रूप में आता है इलिए बादल फटने की अधिकांश घटनाए पहाड़ो पर ही होती है । बादल फटने का दूसरा कारण यह है जब इनके सम्पर्क में गर्म हवा का झोका आता है तो इनके फटने की प्रबल आशंका होती है । लेह,पश्चिम उड़ीसा तथा उत्तराखण्ड में बादल फटने कारण बादल के मार्ग में पहाड़ों का आना था जबकि 26 July 2005 का मुम्बई में बादल फटने का कारण बादलो से गर्म हवा के झोके का टकराना था ।
बादल फटने की घटना में बारीश होने की दर 100 मिलीमिटर प्रति घंटा की दर से होती है । जिसके फलस्वरूप कुछ मिनटों में 2 सेंटीमिटर से अधिक वर्षा हो जाती है जिससे ये जल भारी तबाही का कारण बनती है । जब सामान्य बरसात होती है तो धरती भी जल की काफी मात्रा सोखती रहती है तथा सीमित जल उपयुक्त स्थान से निकलता रहता है जिससे इसके कारण जान–माल की क्षति लगभग नही के बराबर होती है ।
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