प्रकाश (Light)
धार्मिक महत्व - हिन्दू रीति-रिवाजों में प्रकाश शुभ का द्योतक हैं । शादी-विवाहों,हनवों,कथाओं अथवा सभी शुभ कार्यों में दीप (प्रकाश का प्रतीक) जलाते हैं अर्थात् कोई भी शुभ कार्य दीपों को जलाकर करतें हैं । लोग सुबह नहाने के बाद सूर्य को अर्ध्य (जल चढ़ाना) देते हैं,सूर्य जो कि प्रकाश का स्रोत है । लोगों द्वारा ऐसा माना जाता सूर्य (प्रकाश) के बिना संसार चल नहीं सकता,वैज्ञानिक दृष्टि से भी सौ प्रतिशत सही हैं । हनुमान जी बाल्याकाल की वह घटना जब किशोर हनुमान ने सूर्य देवता को एक मीठा फल समझ के निगल लिया था,पूरी ब्रह्माण में त्राहिमाम मच गयी थी । जब प्रभु श्री राम ने लंका पर विजय कर वापस अयोद्धा लौटे तो, अयोद्धावासियों ने दीप जलाई थी,ये परम्परा आज भी कायम है,जिसे हम दीवाली या दीपावली के नाम से मनाते है । दीवाली के दिन हम अपने घरों पर प्रकाश (दीप) करते हैं,ये पर्व बुराई पर अच्छाई पर जीत का प्रतीक है । आज के युग में भी साधारण जनमानस जब घरों में शाम को दीप जलातें हैं पहले उनको नमन (प्रणाम) करते हैं,यहां तक की बिजली के विद्युत दीपों को भी नमन करना नहीं भुलते हैं । सभी क्रियाओं का सारांश यही है कि जीवन के लिए प्रकाश महत्वपूर्ण हैं ।
वैज्ञानिक महत्व - आठों ग्रहों और इनके उपग्रहों तथा इनकें फोकस पर स्थित सूर्य को मिलाकर बनने वाले परिवार को सौर परिवार करते हैं । सौर परिवार के सभी ग्रह और उपग्रह सूर्य से प्रकाश प्राप्त करतें हैं । ऐसा एकाशीय पिण्ड जिसके पास स्वयं का प्रकाश हो तारा कहलाता है । अतः सूर्य भी एक तारा है,जो पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है । सूर्य (प्रकाश) की उपस्थिती में पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पेड़-पौधे स्वयं के लिए भोजन बनाते हैं साथ ही वायुमण्डल की हानिकारक गैसों (जैसें - कार्बन डाइआक्साइड) को प्राण वायु (आक्सीजन) में बदल देती हैं । कल्पना करें कि सूर्य का प्रकाश न हो,इस स्थिति में पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण कि क्रिया करना बन्द कर देंगी,और पृथ्वी से पेड़-पौधों सभी प्रकार की वनस्पतियाँ समाप्त हो जायेगी । चूँकि पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीव जन्तु जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड़-पौधों और वनस्पतियों पर निर्भर है,जैसे – मनुष्य और हिरन प्रत्यक्ष रूप से पेड़ पौधों पर निर्भर है,हिरन जो कि शाकाहारी है,और शेर मांसाहारी है,जो हिरन को खाता है,अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है । अगर पेड़-पौधे वनस्पतियाँ नहीं रहेगी तो हिरन नहीं होगा,यदी हिरन नहीं होगा तो शेर नहीं होगा अर्थात् पृथ्वी पर से जीवधारी विलुप्त हो जायेंगें ।
अगर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर न पहुँचे तो पृथ्वी का तापमान ऋणात्मक कई सौ डिग्री तक पहुँच जायेगा । नदियाँ,झीलें,तालाबें,समुद्र सभी बर्फ के चट्टानों तब्दील हो जायेंगी ।
आपने कभी ध्यान दिया है कि हमें काई चीज क्यों दिखाई देती हैं ? हम अपने हाथ को देख सकते हैं,अपने बालों,जो अत्यन्त पतले हैं,तक को देख लेते हैं । क्या अंधेरे (प्रकाश की अनुपस्थिति में) में भी देख सकते हैं ? जरा रूककर सोचिए ǃ क्या दीप (प्रकाश) जला देने पर ?
वैज्ञानिक कारण यह कि कोई वस्तु तब दिखाई देगी या तो वह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करे या तो उत्सर्जित प्रकाश को परावर्तित करे और उत्सर्जित या परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचे । जैसे – हमें सूर्य क्यों दिखाई देता है ? क्योकि वह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित कर रहा है । हमें चन्द्रमा क्यों दिखाई देता है ? क्योंकि सूर्य द्वारा उत्सर्जित प्रकाश चन्द्रमा पर भी पड़ता है जिसको चन्द्रमा परावर्तित करती है जो चलकर हमारी आँखों तकी आती है और चन्द्रमा हमको दिखाई देने लगती है ।
प्रकाश को चलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है,जबकि ध्वनि को चलने के लिए माध्यम (जैसे - वायु) की आवश्यकता होती है यही कारण है कि चन्द्रमा से हम तक चलकर आ जाता है लेकिन ध्वनि चलकर हम तक नहीं आ पाती क्योंकि चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच में रिक्त स्थान है ।
प्रकाश का वेग 3 करोड़ मीटर प्रति सेकेण्ड है जबकि ध्वनि का वेग मात्र 232 मीटर प्रति सेकेण्ड है। इसी कारणवश वर्षा के दिनों में बादल गरजने पन प्रकाश पहले दिखाई देता है और आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई देती है जबकि दोनो क्रियायें आसमान में साथ-साथ होती हैं । साथ की सर्यू के प्रकाश से हमें विटामिन D प्राप्त होता है ।
धार्मिक महत्व - हिन्दू रीति-रिवाजों में प्रकाश शुभ का द्योतक हैं । शादी-विवाहों,हनवों,कथाओं अथवा सभी शुभ कार्यों में दीप (प्रकाश का प्रतीक) जलाते हैं अर्थात् कोई भी शुभ कार्य दीपों को जलाकर करतें हैं । लोग सुबह नहाने के बाद सूर्य को अर्ध्य (जल चढ़ाना) देते हैं,सूर्य जो कि प्रकाश का स्रोत है । लोगों द्वारा ऐसा माना जाता सूर्य (प्रकाश) के बिना संसार चल नहीं सकता,वैज्ञानिक दृष्टि से भी सौ प्रतिशत सही हैं । हनुमान जी बाल्याकाल की वह घटना जब किशोर हनुमान ने सूर्य देवता को एक मीठा फल समझ के निगल लिया था,पूरी ब्रह्माण में त्राहिमाम मच गयी थी । जब प्रभु श्री राम ने लंका पर विजय कर वापस अयोद्धा लौटे तो, अयोद्धावासियों ने दीप जलाई थी,ये परम्परा आज भी कायम है,जिसे हम दीवाली या दीपावली के नाम से मनाते है । दीवाली के दिन हम अपने घरों पर प्रकाश (दीप) करते हैं,ये पर्व बुराई पर अच्छाई पर जीत का प्रतीक है । आज के युग में भी साधारण जनमानस जब घरों में शाम को दीप जलातें हैं पहले उनको नमन (प्रणाम) करते हैं,यहां तक की बिजली के विद्युत दीपों को भी नमन करना नहीं भुलते हैं । सभी क्रियाओं का सारांश यही है कि जीवन के लिए प्रकाश महत्वपूर्ण हैं ।
वैज्ञानिक महत्व - आठों ग्रहों और इनके उपग्रहों तथा इनकें फोकस पर स्थित सूर्य को मिलाकर बनने वाले परिवार को सौर परिवार करते हैं । सौर परिवार के सभी ग्रह और उपग्रह सूर्य से प्रकाश प्राप्त करतें हैं । ऐसा एकाशीय पिण्ड जिसके पास स्वयं का प्रकाश हो तारा कहलाता है । अतः सूर्य भी एक तारा है,जो पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है । सूर्य (प्रकाश) की उपस्थिती में पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पेड़-पौधे स्वयं के लिए भोजन बनाते हैं साथ ही वायुमण्डल की हानिकारक गैसों (जैसें - कार्बन डाइआक्साइड) को प्राण वायु (आक्सीजन) में बदल देती हैं । कल्पना करें कि सूर्य का प्रकाश न हो,इस स्थिति में पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण कि क्रिया करना बन्द कर देंगी,और पृथ्वी से पेड़-पौधों सभी प्रकार की वनस्पतियाँ समाप्त हो जायेगी । चूँकि पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीव जन्तु जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड़-पौधों और वनस्पतियों पर निर्भर है,जैसे – मनुष्य और हिरन प्रत्यक्ष रूप से पेड़ पौधों पर निर्भर है,हिरन जो कि शाकाहारी है,और शेर मांसाहारी है,जो हिरन को खाता है,अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है । अगर पेड़-पौधे वनस्पतियाँ नहीं रहेगी तो हिरन नहीं होगा,यदी हिरन नहीं होगा तो शेर नहीं होगा अर्थात् पृथ्वी पर से जीवधारी विलुप्त हो जायेंगें ।
अगर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर न पहुँचे तो पृथ्वी का तापमान ऋणात्मक कई सौ डिग्री तक पहुँच जायेगा । नदियाँ,झीलें,तालाबें,समुद्र सभी बर्फ के चट्टानों तब्दील हो जायेंगी ।
आपने कभी ध्यान दिया है कि हमें काई चीज क्यों दिखाई देती हैं ? हम अपने हाथ को देख सकते हैं,अपने बालों,जो अत्यन्त पतले हैं,तक को देख लेते हैं । क्या अंधेरे (प्रकाश की अनुपस्थिति में) में भी देख सकते हैं ? जरा रूककर सोचिए ǃ क्या दीप (प्रकाश) जला देने पर ?
वैज्ञानिक कारण यह कि कोई वस्तु तब दिखाई देगी या तो वह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करे या तो उत्सर्जित प्रकाश को परावर्तित करे और उत्सर्जित या परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचे । जैसे – हमें सूर्य क्यों दिखाई देता है ? क्योकि वह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित कर रहा है । हमें चन्द्रमा क्यों दिखाई देता है ? क्योंकि सूर्य द्वारा उत्सर्जित प्रकाश चन्द्रमा पर भी पड़ता है जिसको चन्द्रमा परावर्तित करती है जो चलकर हमारी आँखों तकी आती है और चन्द्रमा हमको दिखाई देने लगती है ।
प्रकाश को चलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है,जबकि ध्वनि को चलने के लिए माध्यम (जैसे - वायु) की आवश्यकता होती है यही कारण है कि चन्द्रमा से हम तक चलकर आ जाता है लेकिन ध्वनि चलकर हम तक नहीं आ पाती क्योंकि चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच में रिक्त स्थान है ।
प्रकाश का वेग 3 करोड़ मीटर प्रति सेकेण्ड है जबकि ध्वनि का वेग मात्र 232 मीटर प्रति सेकेण्ड है। इसी कारणवश वर्षा के दिनों में बादल गरजने पन प्रकाश पहले दिखाई देता है और आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई देती है जबकि दोनो क्रियायें आसमान में साथ-साथ होती हैं । साथ की सर्यू के प्रकाश से हमें विटामिन D प्राप्त होता है ।
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